उड़ान भी नहीं है पंख भी नहीं हैं .
आसमान भी आज ताकता है
मेरी ख़ामोशी पर ...
बारिश भी आकर कभी-कभी
कुछ आंसू बहा जाती है
मेरी वेबसी पर...
न कुछ खोने को बचा है
न कुछ पाने की लालसा .,
मेरे साथ आज कोई नहीं..
न जाने उम्र का ये कौनसा पड़ाव है,.?
मैं खुद भी हैरान हूँ
अपनी जिन्दगी पर..
अलका पाण्डेय..
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