Monday 12 December 2011

अंतिम क्षण

काश मैं जानती की ये है
अंतिम क्षण तुमसे विदा लेने का..
तो कुछ देर और रूकती.
तुम्हें ठीक से निहारती..
दो आंसू तुम्हारे चरणों
मैं समर्पित करती..
और हमेशा के लिए
अपनी आँखों को मूँद लेती
अगर मैं ये जानती की
ये अंतिम क्षण है
तुमसे विदा लेने का...
जब अंतिम क्षण था
तो समझ भी नही पाई..
की जीवन का सफ़र अब ख़त्म
और तुम्हारा साथ भी ख़त्म..
तुम्हारे होने का एहसास भी..
वक्त तो रेत की मानिद फिसलता गया..
मैंने अंजुरी समेटे थे कुछ दिन
ये वक्त उन्हें भी संग लेता गया..
काश मैं जानती की अंतिम क्षण है
तुमसे विदा लेने का..
अलका

2 comments: