इतनी धुँधली शाम हो गयी...
अब तुम घर वापस आ जाओ...
फिर से तेरी याद आयी है..
शाम सिरहाने मेरे बैठी.,
तेरी यादो मैं है खोई ...
तुम्हें पुकारे ये सूनापन .,
अब तुम घर वापस आ जाओ....
देखो पंक्षी लौट रहे हैं.,
उन पेड़ों की शाखों पर.,
जिन पर नीड़ बसाया था,.,
मन मैं तेरी ज्योति जगी है.,
अब तुम घर वापस आ जाओ....
कल-कल बहती नदी प्रेम की..
छेड़ रही है राग नया एक ..,
तुम्हें पुकारे मेरा आलिंगन .,
अब तुम घर वापस आ जाओ....
अलका पाण्डेय ..
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