खुद को बाँट डाला है
अनेकों टुकड़ों मैं..
कभी धर्म .,कभी जाति ,.
और कभी राजनीती के नाम पर..,
ये इन्सान है जो इंसानियत को
कभी धर्म कभी जाति .,
कभी राजनीती के नाम पर.,
दुनियां को बदलने
की बात करता है इंसान
जो खुद के भीतर भी नही झाँकपता.,
समाज मैं फ़ैली बीमारियों को ये
बदल नही पाता.,..
खोखले आदशों की दुहाई
बेबुनियाद धार्मिक ढांचा
पाप और पुण्य का परिकोटा
खींच रहा है ये इंसान.,
कभी धर्म.,कभी जाति और
कभी राजनीती के नाम पर....
अलका .
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