Tuesday, 13 September 2011

एक कोशिश

रख हौसला खुद पे...
यकीं एकबार कर ले...
सामने तेरे खुला आकाश है...
जीतने की कोशिश तू बस एकबार कर ले ...

रास्तें की ठोकरें क्या रोक पाएंगी तुझे?
चल उठ! अपनी जीत का आगाज कर दे..
स्वप्न जो आधे-अधूरे थे कभी...
चल जाग जा तू नींद से...
आज अपनी जीत का ऐलान कर दे,...


है कंटीली राह तो क्या?
हार कर रुकना नही है तुझे...
चल उठ!जीत का सेहरा तू अपने नाम कर ले...


अलका 

2 comments:

  1. प्रोतसाहन और उल्लास से भरपूर रचना ..

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  2. hr sham yu hi mrti he,. hr nya svera lane ko....
    meri sbhi kamnaye tumare sath he.

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