Tuesday, 26 June 2012

उद्देश्य की तलाश मैं....

आज फिर से शुरू कर रही हूँ एक नई यात्रा।..आगरा से देहली ...आगरा के बस स्टॉप पर बैठ कर  लिख रही हूँ ...पता नही ये सफ़र अब कैसा रहेगा ??अभी तक के सफ़र मैं कुछ खास नही हुआ।.जिस उद्देश्य की तलाश मुझे थी वो पूरा नही हुआ ..लग रहा है की अब एक बेहतर निर्देशन की जरुरत मुझे है  शायद देहली जाकर पूरा हो सके।.या तो मैंने सपने बड़े देख लिए हैं या फिर मैं उनको पूरा करने का उचित प्रयास नही कर पा रही हूँ।..

हमेशा मेरा सोचना रहा की किस्मत नाम की कोई चीज नही होती हम जो चाहते हैं उसे अपने दम पर पा  सकते हैं पर अब लग रहा है कंही कुछ तो एसा है जो मेरे और मेरे सपने के बीच आ रहा है।..खुद को बदलना मुश्किल होता है पर शहर बदलना आसन और मैं शहर बदल लेती हूँ खुद को नही बदल पाती।पर अब उसी दिशा मैं प्रयास करने जा रही हूँ और इसी जद्दोजहद की कहानी है ये मेरी यात्रा।.....

उद्देश्य की तलाश मैं....

4 comments:

  1. Nice writting, Please keep it up and never feel that the days will keep the same,
    I just want to tell you a story.
    Once a man had a dream that he is walking with the God on sea shore and see that his all days of life are seen on the horize. He notice that in his good days their are two pair of footstep on the sand, but in his bad days their are only one pair of footstep.
    He asked the god Almighty in may bad days you left me too.
    God smiled and reply son the footstep you seen in your bad days was mine, you are soo weak that I am carrying you in my hand.
    Keep smiling god is with You.
    ????

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