आज फिर से शुरू कर रही हूँ एक नई यात्रा।..आगरा से देहली ...आगरा के बस स्टॉप पर बैठ कर लिख रही हूँ ...पता नही ये सफ़र अब कैसा रहेगा ??अभी तक के सफ़र मैं कुछ खास नही हुआ।.जिस उद्देश्य की तलाश मुझे थी वो पूरा नही हुआ ..लग रहा है की अब एक बेहतर निर्देशन की जरुरत मुझे है शायद देहली जाकर पूरा हो सके।.या तो मैंने सपने बड़े देख लिए हैं या फिर मैं उनको पूरा करने का उचित प्रयास नही कर पा रही हूँ।..
हमेशा मेरा सोचना रहा की किस्मत नाम की कोई चीज नही होती हम जो चाहते हैं उसे अपने दम पर पा सकते हैं पर अब लग रहा है कंही कुछ तो एसा है जो मेरे और मेरे सपने के बीच आ रहा है।..खुद को बदलना मुश्किल होता है पर शहर बदलना आसन और मैं शहर बदल लेती हूँ खुद को नही बदल पाती।पर अब उसी दिशा मैं प्रयास करने जा रही हूँ और इसी जद्दोजहद की कहानी है ये मेरी यात्रा।.....
उद्देश्य की तलाश मैं....
हमेशा मेरा सोचना रहा की किस्मत नाम की कोई चीज नही होती हम जो चाहते हैं उसे अपने दम पर पा सकते हैं पर अब लग रहा है कंही कुछ तो एसा है जो मेरे और मेरे सपने के बीच आ रहा है।..खुद को बदलना मुश्किल होता है पर शहर बदलना आसन और मैं शहर बदल लेती हूँ खुद को नही बदल पाती।पर अब उसी दिशा मैं प्रयास करने जा रही हूँ और इसी जद्दोजहद की कहानी है ये मेरी यात्रा।.....
उद्देश्य की तलाश मैं....