Saturday, 25 February 2012

एक शहर


दिल के कोने मैं चुपके से
धडकता है कंही..
एक शहर मुझमें भी बसता है कंही...
पिछली रातों के साये मैं
मेरी रूह से लिपटा वो रहा..
मन की गहराईयों मैं.,
छुप के बैठा है कंही ..
अक्स है कोई
जो मिटाने से मिटता ही नही..
आज भी मुझमें वो रहता है कंही...
एक शहर मुझमें भी बसता है कंही..
 
अलका .

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